सेक्स आसनजब महिला उपर हो
सेक्स पोजीशन ही सेक्स क्रिया का महत्वर्ण पड़ाव होता है. तमाम प्रयासों का निष्कर्ष इसी पर आकर शुरू होता है. सेक्स पोजीशन की महत्ता प्राचीन काल से ही रही है. इसपर वात्सायन ने भी काफी कुछ दिया है, तो चीन में भी काफी कुछ नया मिला हैपाश्चात्य देशों ने भी इस पर काफी कुछ नया किया है. हिन्दुस्तान में मुगलों ने रति क्रीड़ा के आसनों को एक नया आयाम और रूप दिया. वहीं आज इसपर काफी कुछ शोध होते होतेकई आनंददायी रूपों में निखर कर सामने आया है. इन प्राचीनतम , आधुनिकतम पाश्चात्य का निचोड़ यह है कि सेक्स पोजीशन को पांच मुख्य भागों में बांटा जा सकता है. इनमें है
- जब महिला उपर हो
- जब पुरुष उपर हो
- खड़े होकर
- अन्य पोजीशन
- मुख मैथुन पोजीशन
हम तब तक क्लासिकल म्यूजिक को नहीं समझ सकते जब तक कि उसे सुनकर उसकी
गूढ़ता और भ्रामक सुन्दरता को समझने का प्रयास नहीं करते . कुछ ऐसा ही राग
है सेक्स पोजीशन के मामले में जब पुरुष उपर हो. यहां अब वह समय आ गया है
जब आदर्श (classic) पोजीशन को सभ्य व व्यवस्थित बनाएं तथा परीक्षण करके
देखे कि किन कारणों से वे आदर्श पोजीशन हैं. साथ ही यह भी स्पष्ट कर देना
चाहता हूं कि जब पुरुष उपर होता है तो इसका यह कतई आशय नहीं लगाना चाहिये
कि महिला को इसमें नकारात्मक शक्तिशाली संबंधों का अनुभव होगा. न ही इन
पोजीशनों को पुराने जमाने की बोरिंग पोजीशन कहा जा सकता है जैसा कि कुछ लोग
आज कर पुरुष के उपर रहने वाली पोजीशन के बारे में सोचते हैं. इनमें महज
कुछ परिवर्तन करके इन्हें शानदार अनुभव वाली पोजीशन भी बनाया जा सकता है.
इन सभी पोजीशनों में धक्के का पूरा दारोमदार पुरुष पर होता है. किसी भी
प्रारंभिक पोजीशन के पहले आपसी बातचीत महत्वपूर्ण होती है. यदि कम्युनिकेशन
गैप रहेगा तो शायद कोई भी पोजीशन दोनों के लिये उतनी आनंददायी नहीं होगी
जितने कि वे कल्पना करते हैं. मसलन हर महिला अपने पार्टनर का ऐसा आकार या
ढांचा चाहती है जो उसे कामोन्माद की चरम स्थितितक पहुंचा सके और इसके लिये
जरूरी है एक बेहतर पोजीशन की जो उससे चर्चा करके उसके सोचे गए आकार से
मेल खाती हो और यह प्रयास पार्टनर के लिये प्रचण्ड कामोद्दीपक व तीव्र
उत्तेजना प्रदान करने वाला होगा. यदि वे एक बार ऐसा करने में सफल हो गए तो
वे अपने इष्टतम आनंददायी बिंदु पर निशाना साधते हुए सवारी का मजा ले
सकेंगें. यहां यह बताना भी जरूरी है कि ज्यादातर पुरुष अपने को उपर रखने
वाली पोजीशन इस लिये चुनते हैं ताकि पूर्ण उन्नत अवस्था को पा सकें. इस
तरह पुरुषों के उपर रहने पर शक्तिशाली पोजीशन का होना इसका एक वास्तविक
फायदा है. लेकिन इस पोजीशन में पुरुष शुरुआत से ही तेज गति और निकटता के
साथ चलेंगे तो वे निश्चित तौर पर चरमोत्कर्ष के समय कमजोर और उत्तेजना
खोने वाला भी बना सकती है क्योंकि वे सेक्स की कदमताल के कन्ट्रोल में
नहीं रह पाते हैं.
यह पोजीशन नये प्रवेश करने वालों के लिये काफी बेहतर होती है, लेकिन जब इसे सृजनात्मकता से लिया जाता है तो यह सभी वर्ग के लिए मजेदार होती है. इसलिये जरूरी है कि महिलाएं भी अपने पार्टनर को बताएं कि वह नियंत्रण में रहे तथा प्रयोग करके यह भी देखे कि किसमें उन दोनों को ज्यादा आनंद आता है.
खड़े होकर सेक्स
यह पोजीशन स्वाभाविक तौर पर अति आनंद के लिये या फिर अकल्पनीय सेक्सुअल समागम के लिए प्रयोग की जाती है. सामान्यतः यह भारत में कम ही प्रयोग की जाती है लेकिन अब यह प्रचलन में आ रही है. वहीं कुछ लोगो का मानना है कि जहां बिस्तर की उपलब्धता न हो और प्रतीक्षा करने का कोई कारण उपलब्ध न हो तो यह पोजीशन सबसे सही रहती है. यह काफी बलिष्ठ , खिंची हुई और अति कठोर पोजीशन मानी जाती है, जिसके लिये काफी ताकत, जोर और समन्वय की आवश्यकता होती है. वहीं कुछ लोगों का मत है कि इस पोजीशन में सेक्स करने पर रक्त प्रवाह तेज होता है साथ इस पोजीशन के द्वारा पुरुषों में स्वयं में शक्तिशाली होने का अहसास होता है तो महिलाएं अपने को पूरी तरह निगला (गटका) हुआ महसूस करती हैं. और सबसे मुख्य बात रही वह यह है कि बेहतर सेक्सुअल आनंद के लिये पोजीशन बदल कर सेक्स करना काफी आनंददायी होता है.
................................................................................
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.