aurat ki choot ke samvedan sheel hisse स्त्री के योनी के संवेदनशील कामुक हिस्से कोन कोन से है ?
ये चार हिस्से या केन्द्र हैं
ये चार हिस्से या केन्द्र हैं
1)भगशिश्न (clitoris),
2) यू-स्पॉट,
3) जी-स्पॉट
4) ए-स्पॉट.
इनमें से पहले दो योनि से बाहर हैं और बाद
के दो योनि के अंदर.
भगशिश्न(Clitoris)
यह महिला जननांग के सर्वश्रेष्ठ ज्ञात हॉट स्पॉट के रुप में जाना जाता है, जो कि भग के शीर्ष पर स्थित होता है. इसी स्थान पर आन्तरिक भगोष्ठ बाह्य भगोष्ठ से जुड़ता है. इसका दृश्य भाग काफी छोटा तथा निप्पल के आकार का होता है. महिलाओं में यह पुरुष के लिंग के अगले सिरे के समकक्ष होता है. यह आंशिक रूप से सुरक्षा कवच(protective hood) से ढंका होता है. मूल रूप से यह 8000 तंत्रिका तंतुओं (nerve fibres) का बंडल होता है, जो कि इसे महिला के शरीर का सबसे संवेदनशील अंग बनाती है. यह विशुद्ध रूप से यौन कार्य के लिये ही है. यह मैथुन क्रिया के दौरान दीर्घ (बड़ी, फूली हुई ,तनी हुई) तथा ज्यादा संवेदनशील हो जाती है. फोरप्ले के दौरान अक्सर यह सीधे छूने मात्र से ही उत्तेजित हो जाती है.
यह महिला जननांग के सर्वश्रेष्ठ ज्ञात हॉट स्पॉट के रुप में जाना जाता है, जो कि भग के शीर्ष पर स्थित होता है. इसी स्थान पर आन्तरिक भगोष्ठ बाह्य भगोष्ठ से जुड़ता है. इसका दृश्य भाग काफी छोटा तथा निप्पल के आकार का होता है. महिलाओं में यह पुरुष के लिंग के अगले सिरे के समकक्ष होता है. यह आंशिक रूप से सुरक्षा कवच(protective hood) से ढंका होता है. मूल रूप से यह 8000 तंत्रिका तंतुओं (nerve fibres) का बंडल होता है, जो कि इसे महिला के शरीर का सबसे संवेदनशील अंग बनाती है. यह विशुद्ध रूप से यौन कार्य के लिये ही है. यह मैथुन क्रिया के दौरान दीर्घ (बड़ी, फूली हुई ,तनी हुई) तथा ज्यादा संवेदनशील हो जाती है. फोरप्ले के दौरान अक्सर यह सीधे छूने मात्र से ही उत्तेजित हो जाती है.
यू-स्पॉट(U-Spot)
यह संवेदनशील, उत्तेजित होने योग्य उत्तकों का छोटा सा पैच होता है जो कि मूत्र द्वार के ऊपर और दोनो ओर पाया जाता है लेकिन यह मूत्र मार्ग के नीचे(जो कि मूत्रद्वार व योनिद्वार के बीच का छोटा हिस्सा होता है) नहीं पाया जाता है. हालांकि इसके बारे में अभी भगशिश्न से कम ही जानकारी हो पाई है. अभी इसकी कामुक क्षमता के बारे में अमेरिका के चिकित्सीय अनुसंधानकर्ता जांच कर रहे हैं. अब तक की जांच में उन्होंने पाया है कि यदि इस क्षेत्र को धीरे-धीरे उंगली, जीभ या शिश्न के सिरे की सहायता से सहलाया(caresse) जाय तो वहां अप्रत्याशित रूप से शक्तिशाली कामुक प्रतिक्रिया होती है.
यह संवेदनशील, उत्तेजित होने योग्य उत्तकों का छोटा सा पैच होता है जो कि मूत्र द्वार के ऊपर और दोनो ओर पाया जाता है लेकिन यह मूत्र मार्ग के नीचे(जो कि मूत्रद्वार व योनिद्वार के बीच का छोटा हिस्सा होता है) नहीं पाया जाता है. हालांकि इसके बारे में अभी भगशिश्न से कम ही जानकारी हो पाई है. अभी इसकी कामुक क्षमता के बारे में अमेरिका के चिकित्सीय अनुसंधानकर्ता जांच कर रहे हैं. अब तक की जांच में उन्होंने पाया है कि यदि इस क्षेत्र को धीरे-धीरे उंगली, जीभ या शिश्न के सिरे की सहायता से सहलाया(caresse) जाय तो वहां अप्रत्याशित रूप से शक्तिशाली कामुक प्रतिक्रिया होती है.
)
जी-स्पॉट
यह योनि के अन्दर की ओर ऊपरी दीवार पर 5-8से.मी.(2-3इंच) की गहराई में पाया जाने वाला छोटा लेकिन काफी संवेदनशील क्षेत्र होता है. इसकी खोज प्रसिद्ध जर्मन स्त्री रोग विशेषज्ञ अर्नस्ट ग्रेफेनबर्ग ने की थी. सन् 1940 में जब महिला संभोग की प्रकृति पर अनुसंधान चल रहा था तब पाया गया कि योनि के उपर की ओर मूत्र नलिका उत्तेजित होने योग्य उत्तकों से घिरी हुई है यह ठीक उसी तरह का व्यवहार करती है जिस तरह पुरुष का शिश्न. जब महिला सेक्सुअली उत्तेजित हो जाती है तब ये ऊत्तक फूलने लगते हैं. ऊत्तकों का यही विस्तार योनि के अंदर उपरी दीवार पर छोटे पैच के रूप में समझ में आता है जिसे जी-स्पॉट के नाम से जाना जाता है. ग्रेफेनबर्ग ने इसी उठे हुए पैच को प्राथमिक कामुक क्षेत्र की संज्ञा दी तथा बताया कि उत्तेजना के मामले में यह भगशिश्न(clitoris) से ज्यादा संवेदनशील है. साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जब लोग यौन व्यवहार के लिये 'मिशनरी पोजीशन' अपनाते हैं तो यह स्पॉट अपना प्रभाव नहीं छोड़ पाता है
यह योनि के अन्दर की ओर ऊपरी दीवार पर 5-8से.मी.(2-3इंच) की गहराई में पाया जाने वाला छोटा लेकिन काफी संवेदनशील क्षेत्र होता है. इसकी खोज प्रसिद्ध जर्मन स्त्री रोग विशेषज्ञ अर्नस्ट ग्रेफेनबर्ग ने की थी. सन् 1940 में जब महिला संभोग की प्रकृति पर अनुसंधान चल रहा था तब पाया गया कि योनि के उपर की ओर मूत्र नलिका उत्तेजित होने योग्य उत्तकों से घिरी हुई है यह ठीक उसी तरह का व्यवहार करती है जिस तरह पुरुष का शिश्न. जब महिला सेक्सुअली उत्तेजित हो जाती है तब ये ऊत्तक फूलने लगते हैं. ऊत्तकों का यही विस्तार योनि के अंदर उपरी दीवार पर छोटे पैच के रूप में समझ में आता है जिसे जी-स्पॉट के नाम से जाना जाता है. ग्रेफेनबर्ग ने इसी उठे हुए पैच को प्राथमिक कामुक क्षेत्र की संज्ञा दी तथा बताया कि उत्तेजना के मामले में यह भगशिश्न(clitoris) से ज्यादा संवेदनशील है. साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जब लोग यौन व्यवहार के लिये 'मिशनरी पोजीशन' अपनाते हैं तो यह स्पॉट अपना प्रभाव नहीं छोड़ पाता है
ए-स्पॉट.
एक स्पॉट वासनोत्तेजक क्षेत्र. इसके अलावा Epicentre के रूप में भी जाना जाता है . ये गर्भाशय ग्रीवा और मूत्राशय के बीच योनि ट्यूब के भीतर अंत में संवेदनशील ऊतक के एक पैच है, तकनीकी रूप से यह पुरुष प्रोस्टेट की महिला बराबर है, जिस प्रकार भगशेफ(clitoris) महिला पुरुष लिंग के बराबर है.) इस को रगड़ने से तेज उत्तेजना का उत्पादन कर सकते हैं. भगशेफ के विपरीत, यह बाद हिस्सा ओवर संवेदनशीलता से ग्रस्त माना जाता है.
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.