वियाग्रा कितनी मात्र में लेनी चाहिए , ये किस तरह कार्य करती है और इसके साइड एफ्फेक्ट क्या क्या है ?
वियाग्रा देते समय डॉक्टर रोगी की उम्र स्वास्थ्य की सामान्य स्थिति और जो
दवाएं वह ले रहा हो उन सब का ध्यान रखता है। प्रारम्भ करने की अधिकतर
पुरूषों में मात्रा 50 मि.ग्रा. होती है, पर सह प्रभावों एवं प्रभविषुणता
को देखते हुए डॉक्टर मात्रा को बढ़ा या घटा सकता है। अधिक से अधिक 100
मि.ग्रा. प्रत्येक चौबीस घन्टे की अवधि में संस्तुष्ट की जाती है।सिल्डेनाफिल 15, 50 और 100 मि.ग्रा. की मौखिक गोलियों में उपलब्ध है।
सम्भोग परक गतिविधि के प्रारम्भ के एक घन्टा पहले इसे लेना चाहिए। श्रेष्ठ
परिणाम के लिए इसे खाली पेट लेना चाहिए क्योंकि खाने के बाद, यदि गरिष्ठ
भोजन किया हो तो इसका प्रभाव और स्राव घट जाता है।
शारीरिक अथवा मानसिक कारणों से लिंग के खड़े न हो पाने के रोग में वियाग्रा का उपयोग किया जाता है। जिन पुरूषों को हृदय तंत्री का रोग, मौल्लिटस मधुमेह, उच्च रक्त चाप, अवसाद हृदय की बाईपास सर्जरी हो चुकी हो और जो पुरूष अवसाद मुक्ति या रक्त चाप से मुक्ति देने वाली दवाएं लेते हैं उन में लिंग को खड़ा करने के लिए इसे प्रभावशाली माना जाता है। चिकित्सा प्रयोगों में, देखा गया है कि मधुमेह वाले 60 प्रतिशत और बिना मधुमेह वाले 80 प्रतिशत लोगों को वियाग्रा से लिंग के खड़े होने में बेहतर मदद मिलती है।
बिना विशेष सह प्रभावों के वियाग्रा अधिकतर लोगों को लाभ पहुंचाती है। जो
सहप्रभाव सामने आये हैं वे बहुत हल्के हैं जिसमें सिर दर्द, पानी-पानी हो
जाना, नाक बन्द होना, घबराहट, गैस बनना डॉयरिहा और दृष्टि की असामान्यता
(नीला नीला दिखना या चमचमाहट शामिल है।
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